My Wanderings 164
Urdu Ghazal 42
Raze Hasrat
गर कुदरत ने हमारी ख्वाहिशो का ऐहतिराम किया होता
यह हादसा हमारी ज़िन्दगी के साथ कभी हुवा ना होता
हम तो हरदम रहे किसी कुदरती मौजजे के मुन्तजिर
पर हमे मालूम ना था हम हो जायेंगे रुसवा इस कदर
काश हमने अपनी हसरतौ का इखतिलाफ किया होता
गर कुदरत ने हमारी ख्वाहिशो का एहतिराम किया होता
यह हादसा हमारी ज़िन्दगी के साथ कभी हुवा ना होता
हम तो हर बार रहे कुदरत की सरगोशियो के कायल
और मुकद्दर की गर्दिशो ने हमे हर दम किया है घायल
काश हमने इन पर इतना ऐतमाद नही किया होता
गर कुदरत ने हमारी ख्वाहिशो का एहतिराम किया होता
यह हादसा हमारी ज़िन्दगी के साथ कभी हुवा ना होता
हम खोदते रहे जमीन को खजाने की तलाश मे अकसर
भेच दी जब जमीन तो खजाना किसी ओरको हुवा मुयसर
हमने जल्दी की हमेशा, कुछ ओर इन्तिज़ार किया होता
गर कुदरत ने हमारी ख्वाहिशो का एहतिराम कियाहोता. यह हादसा हमारी जिन्दगी के साथ कभी हुआ ना होता
शायद मुकद्दर की सख्ती ने हमे हर भार पामाल किया
दिलशिकस्ता होने परभी हमने किसी से सवाल न किया
काश हमने पहले से ही तदबीरू पे ऐतबार किया होता
गर कुदरत ने हमारी ख्वाहिशो का एहतिराम किया होता
यह हादिसा हमारी ज़िन्दगी के साथ कभी हुवा ना होता
नाकामयाबी से लेकर नाकामयाबी तककामयाब होना हे
सिर्फ इन्सान कोअपना हौसला कभीपस्त नही करना है
काश 'रमेश' तुमने यह पहले से ही ऐतराफ किया होता
गर कुदरत ने हमारी ख्वाहिशो का एहतिराम किया होता
यह हादसा हमारी ज़िन्दगी के साथ कभी हुआ ना होता
रमेश कौल
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